प्रगतिवाद युग क्या है? समय सीमा, जनक, कवि व विशेषता

प्रगतिवाद युग की समय सीमा व आरम्भ -:

हिंदी साहित्य में 1936 से प्रगतिवादी युग का प्रारम्भ माना जाता है और 1942 इसका अंत होता है। इस प्रकार हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद युग की अवधि 1936 से 1942 तक रही।


प्रगतिवाद युग के जनक -:

प्रगतिवाद युग के प्रवर्तक या जनक कार्ल मार्क्स को माना जाता है। वहीं अगर काव्य की बात की जाए तो प्रगतिवाद युग में काव्य के प्रवर्तक या जनक सुमित्रानंदन पंत को माना जाता है।

राजनीति में जो मार्क्सवाद है, राजनीति में उसे ही प्रगतिवाद के नाम से जाना जाता है।


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प्रगतिवाद युग के कवि -:

प्रगतिवाद युग के प्रमुख कवियों में सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, केदारनाथ अग्रवाल, रांगेय राघव, नागार्जुन, त्रिलोचन शास्त्री, डॉ रामविलास शर्मा, शिवमंगल सिंह "सुमन" इत्यादि हैं।

इन कवियों ने प्रगतिवाद युग को काफी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।


प्रगतिवाद युग की विशेषताएं -:

1. प्रगतिवाद युग में कवियों ने रूढ़िवादी गतिविधियों पर विरोध प्रदर्शित किया है।

2. इस युग में लिखी कविताओं में शोषण का विरोध किया गया है।

3. प्रगतिवाद में मार्क्सवाद का प्रचार हुआ है।

4. इस युग में शोषणकर्ताओं के विरुद्ध घृणा की भावना को दिखाने के साथ-साथ क्रांति की भावना भी प्रदर्शित की गई है।

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