Ushmagatiki Ka Vargikaran-Classical Thermodynamics Aur Statistical Thermodynamics

ऊष्मागतिकी का वर्गीकरण (Classification of Thermodynamics in Hindi)

ऊष्मागतिकी को अध्ययन की दृष्टि से देखते हुए दो भागों में विभाजित किया गया है-

1.Classical ऊष्मागतिकी

2.Statistical ऊष्मागतिकी


1.Classical ऊष्मागतिकी

ऊष्मागतिकी  में निकाय के द्रव्य के गुणों में परिवर्तन का अध्ययन macroscopic दृष्टि से करते हैं अर्थात किसी पदार्थ के संपूर्ण द्रव्यमान को एक मानते हुए उस में में में होने वाले सभी परिवर्तनों का अध्ययन क्लासिकल उष्मागतिकी के अंतर्गत किया जाता है। किसी पदार्थ के गुणों में जब परिवर्तन का अध्ययन करते हैं तभी वह क्रिया Classical ऊष्मागतिकी बन जाती है। इस अध्ययन में किसी भी पदार्थ के सम्पूर्ण द्रव्यमान को शामिल कर लिया जाता है।

कुछ गुण निंलिखित है जिनको किसी पदार्थ के परिवर्तन का अध्ययन करते समय मापा जाता है - तापमान , आन्तरिक ऊर्जा , दाब , एंट्रॉपी इत्यादि।


2.Statistical ऊष्मागतिकी

जब किसी पदार्थ के प्रत्येक अणु एवं परमाणु के गुणों का परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है तो इस प्रकार का अध्ययन करना , Statistical ऊष्मागतिकी कहलाता है।इस प्रकार के अध्ययन में पदार्थ के अणुओं और परमाणुओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन शामिल होता है। पदार्थ के जिन गुणों गुणों का अध्ययन किया जाता है वह निम्न है - वेग , संवेग , गतिज ऊर्जा इत्यादि।


Classical ऊष्मागतिकी और Statistical ऊष्मागतिकी में अंतर (Difference between Classical Thermodynamics and Statistical Thermodynamics) -:

1) Classical ऊष्मागतिकी में तापमान , आन्तरिक ऊर्जा , दाब , एंट्रॉपी इत्यादि आते हैं और Statistical ऊष्मागतिकी में वेग , संवेग , गतिज ऊर्जा इत्यादि आते हैं।

2) Classical ऊष्मागतिकी में पदार्थ के संपूर्ण द्रव्यमान को एक मानते हुए उस में में में होने वाले सभी परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है और Statistical ऊष्मागतिकी में पदार्थ के प्रत्येक अणु एवं परमाणु के गुणों का परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है।

3) Classical ऊष्मागतिकी में पूरे पदार्थ का अध्ययन शामिल होता है और Statistical ऊष्मागतिकी में पदार्थ के प्रत्येक अणु एवं परमाणु का अध्ययन शामिल होता है।





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