Ramsetu Bridge in Hindi । रामसेतु से जुड़े सभी प्रश्न-उत्तर की जानकारी

रामसेतु यह नाम अपने आप मे बहुत ही बड़ा रहस्य है जिसके पीछे का सच पूरे इतिहास को बदल कर रख देगा। परन्तु अफसोस, विज्ञान भी अभी इस रहस्य को सुलझाने में असमर्थ ही दिखाई पड़ता है।

दरअसल में बात उस सेतु की हो रही है जिसे सनातन (हिन्दू) धर्म यह मानता है कि इस सेतु को भगवान राम ने बनवाया है और Science अपने पक्ष में यह मानता है कि रामसेतु प्राकृतिक हो भी सकता है या मानव निर्मित हो सकता है।

परन्तु विज्ञान के पास इतने पुख्ता सबूत नही हैं कि वे इसे प्राकृतिक सेतु साबित कर सके क्योंकि पूल के निरीक्षण करने पर ऐसे कई सबूत ऐसे मिले हैं जो साबित करते हैं कि पूल मानव निर्मित भी हो सकता है।

फिर भी विज्ञान यह मानने को तैयार नही है कि पूल मानव निर्मित है क्योंकि इस डिजिटल युग मे भी इस तरह का सेतु तैयार करना मुमकिन नही लगता है तो फिर इतने प्राचीन समय में भला ऐसा पूल कैसे बनाया जा सकता है।


Ramsetu Bridge Image, राम सेतु / आदम का पुल फोटो

रामसेतु की फोटो (Ramsetu Image/Adam Bridge)


राम सेतु का अर्थ है राम का सेतु, सेतु का अर्थ "पूल" होता है। इस प्रकार रामसेतु का पूरा मतलब है राम का पूल होगा। रामसेतु श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाला ऐसा पूल है जिसे लेकर कई तरह के विवाद है।

इसके निर्माण को लेकर कुछ मानते हैं कि यह प्राकृतिक घटना के कारण बना है जबकि हिंदू धर्म के अनुसार इसे श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता को लंका से छुड़ाने के लिए इस पूल का निर्माण कराया था।

रामसेतु भारत के दक्षिणी पूर्वी तट पर स्थित रामेश्वरम और श्रीलंका के उत्तरी पश्चिमी तट पर स्थित मन्नार दीप के बीच मे स्थित है। इस क्षेत्र में समुद्र का काफी उथला है। कुछ स्थानों पर पानी पुल से 3 फीट ऊपर है तो कुछ स्थानों पर पानी 30 फुट ऊपर है।

ऐसा माना जाता है कि 14वीं शताब्दी तक इसके ऊपर पानी नहीं था और लोग आसानी से इस पर आ जा सकते थे। इस पुल पर पानी आने का मुख्य कारण समुद्र के जलस्तर का बढ़ना और प्राकृतिक आपदाओ का आना है। इस सेतु की लंबाई 30 मील (48 km) है।

आपको यहां बताते चले कि सारे संसार में सबसे पहले इस पूल का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में किया गया था जिसमें यह बताया गया है कि इसे श्री रामचंद्र जी ने अपनी पत्नी सीता को लंका से छुड़ाने के लिए इस पूल का निर्माण कराया था।

आइए रामसेतु से संबंधित सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर जानते हैं और पता करते हैं कि रामसेतु का रहस्यमय सच्चाई क्या है।


1. रामसेतु का दूसरा अन्य नाम क्या है

उत्तर - राम सेतु को एडम्स ब्रिज, आदम का पूल, नल सेतु, सेतु बांध और रामार ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार कहा जाता है कि इस सेतु को सबसे पहले श्रीराम जी ने नल सेतु का नाम दिया था।


2. एडम्स ब्रिज क्या है तथा यह नाम कैसे पड़ा?

उत्तर - रामसेतु को ही एडम्स ब्रिज कहा जाता है। सन 1788 में Map of Hindoostan नाम का एक नक्शा बना, जिसमे रामसेतु को राम सेतु ही कहा गया। 

परन्तु सन 1804 में एक ब्रिटिश मानचित्रकार James Rennell ने Map of Hindoostan के Update  Version में रामसेतु का नाम बदलकर एडम्स ब्रिज रख दिया।


3. आदम का सेतु क्या है तथा यह नाम किसने दिया?

उत्तर - रामसेतु को ही आदम का पुल कहा जाता है। इस्लाम धर्म के मानने वाले यह मानते हैं कि आदम का पुल, समुंद्र का एक ऐसा विशाल मार्ग है। सन 850 के आस-पास इब्न खोरदादबेह ने एक अल-मसालिक वा-एल-ममालिक नामक किताब लिखी, जिसमे उसने इस पूल को सागर का पूल (सेट बंधाई) कहा।

पहली बार सन 1030 में अल-बिरूनी ने अपनी किताब तारिक अल-हिंद में राम सेतु को एडम्स ब्रिज यानी आदम का पूल कहा था।


4. रामसेतु की खोज कब हुई तथा किसने किया?

उत्तर - महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण में हजारों साल पहले ही राम सेतु का उल्लेख मिलता है, जिसे रामायण में राम ने नल सेतु के नाम से संबोधित किया है क्योंकि नल और नील वानर सेना में ऐसे योद्धा थे जिन्होंने उस पुल का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


5. क्या रामसेतु का अस्तित्व सच में आज भी है

उत्तर - नि:संदेह राम सेतु का अस्तित्व आज भी है जिसे आप भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम में जाकर देख सकते हैं। जो आज भी समुद्र के बीच मे स्थित है।


6. क्या हम रामसेतु जा सकते हैं?

उत्तर - जी हां, हम रामसेतु पर आसानी से जा सकते हैं। इसके लिए आपको तमिलनाडु के रामेश्वरम जाना होगा और वहां से रामसेतु की ओर जाना होगा। जब आप रामसेतु पूल पर चले जायेंगे तो उस पर आप चल भी सकते हैं। परन्तु आप कुछ ही दूरी पर जा सकते हैं क्योंकि सेतु का बहुत हिस्सा पानी के अंदर डूब चुका है जिस पर चलना मुश्किल है।


7. राम सेतु पुल कहां स्थित है?

उत्तर - भारत में स्थित तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक जो सेतु मिलती है उसे रामसेतु कहा जाता है।

रामसेतु रामेश्वरम के दक्षिणी-पूर्वी तट पर और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के पश्चिमी-उत्तरी तट पर स्थित है। रामेश्वरम द्वीप को पम्बन (पंबन) द्वीप भी कहा जाता है।


8. रामसेतु की उम्र/आयु कितनी है?

उत्तर - रामसेतु के आयु के लेकर विज्ञान में कई प्रकार के विभिन्नताएँ हैं। समुद्र विज्ञान के शोधकर्ताओं द्वारा जब शोध हुआ तो पता चला कि रामसेतु 7000 साल पुराना है परंतु जब तिरुचिरापल्ली स्थित भारतिदासन विश्वविद्यालय के द्वारा  2003 में सर्वेक्षण हुआ तो पता चला कि रामसेतु की आयु सिर्फ 3500 साल है।

इस प्रकार Science द्वारा अलग-अलग आयु बताना, इस बात को साबित करता है कि अभी भी हमारे विज्ञान के पास रामसेतु को अच्छी तरह समझने वाले उपकरण मौजूद नहीं है।

अगर वाल्मीकि रामायण के अनुसार देखा जाए तो कुछ विद्वान अपनी गणना से बताते हैं कि रामायण 9 लाख वर्ष पहले लिखा गया था। वही कुछ लोग अपनी गणना से बताते हैं कि श्रीरामचंद्र जी का काल लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व का है।

ज्यादातर भ्रांतियां यह है कि छठी शताब्दी ईसा पूर्व में रामायण को लिखा गया था।


9. राम सेतु की लंबाई कितनी है?

उत्तर - रामायण के अनुसार राम सेतु की लंबाई 100 योजन और उसकी चौड़ाई 10 योजन थी। जबकि इस आधुनिक दुनिया के अनुसार राम सेतु (एडम्स ब्रिज) की लंबाई लगभग 30 मील अर्थात 48 किलोमीटर है।


10. रामसेतु से श्रीलंका की दूरी कितनी है?

उत्तर - रामसेतु श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जाकर जुड़ा है और इधर भारत के रामेश्वरम द्वीप से जुड़ा है। पुल की लंबाई 48 किलोमीटर है जहां राम सेतु खत्म होता है वहां पर श्रीलंका का मन्नार द्वीप आरम्भ होता है।


11. वर्तमान समय में रामसेतु की स्थिति कैसी है?

उत्तर - वर्तमान समय में रामसेतु पर चलकर जाना संभव नहीं है क्योंकि रामसेतु पर कहीं-कहीं 3 फीट पानी तो कहीं कहीं 30 फीट पानी लगा हुआ है। 

ऐसा माना जाता है कि 15वीं शताब्दी तक लोग इस पूल पर आ जा सकते थे परंतु प्राकृतिक आपदा और समुद्र के बढ़ते हुए जलस्तर ने सेतु के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है।

जबकि रामायण के अनुसार देखा जाए तो श्रीराम ने अपने बाणों से रामसेतु के दो टुकड़े कर दिए, और इसके बाद बीच के हिस्से को भी अपने बाणों से तोड़ दिया। इस प्रकार भगवान राम ने अपने ही द्वारा बनाई गई रामसेतु को तोड़ दिया।


12. भारत और श्रीलंका के मध्य स्थित संपर्क मार्ग का नाम रामसेतु कैसे हुआ?

उत्तर - वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि यह सेतु 15वीं शताब्दी तक भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ता था। ऐसा माना जाता है कि इसे श्री राम जी ने लंका तक पहुंचने के लिए बनाया था।

अतः श्री राम के द्वारा बनाए जाने के कारण भारत और श्रीलंका के मध्य स्थित इस संपर्क मार्ग को रामसेतु का नाम दिया गया है जबकि रामायण में इस पूल को नलसेतु के नाम से जाना जाता है।


13. राम सेतु का निर्माण कितने दिन में हुआ?

उत्तर - रामसेतु के निर्माण को लेकर विज्ञान अपना पक्ष रखता है कि यह संरचना प्राकृतिक है जबकि रामायण में इसका वर्णन मिलता है कि इसे श्री रामचंद्र जी ने 5 दिन में बनवाया था।

रामायण के अनुसार पहले दिन 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन का कार्य पूरा किया गया था।


14. राम सेतु का निर्माण कब और कैसे हुआ?

उत्तर - रामायण के अनुसार राम सेतु का निर्माण भगवान श्री रामचंद्र जी ने लंका पहुंचने के लिए करवाया था। सेतु को बनाने में नल और नील नामक दो वानरों की अगुवाई भी रामसेतु का निर्माण करवाया गया।

अगर वही विज्ञान की बात की जाए तो वैज्ञानिकों में काफी मतभेद है कुछ लोग इसे मानव निर्मित मानते हैं तो कुछ लोग इसे प्रकृतिक संरचना मानते हैं।


15. रामसेतु के बारे में विज्ञान व वैज्ञानिक का क्या पक्ष है?

उत्तर - रामायण का समय जोकि 5000 ईसा पूर्व और पुल का कार्बन एनालिसिस का तालमेल एकदम सटीक बैठता है। हालांकि, आज भी ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह बताता है कि पुल मानव निर्मित है और बहुत से वैज्ञानिक ऐसे भी हैं जो इस पूल को प्राकृतिक संरचना मानते हैं।


16. रामसेतु के बारे में सनातन धर्म का क्या पक्ष है?

उत्तर - सनातन धर्म की पुस्तक रामायण में उल्लेख मिलता है कि रामसेतु को भगवान राम ने लंका तक पहुंचने के लिए निर्माण करवाया था।

इस प्रकार हिंदू धर्म आस्था के साथ कहता है कि रामसेतु को भगवान श्रीराम ने वानर सेना व नल और नील की सहायता लेकर बनवाया था।


17. रामसेतु प्राकृतिक है या मानव निर्मित है?

उत्तर - रामसेतु का काफी रिसर्च करने के बाद भी वैज्ञानिक अभी इस प्रमाण पर नहीं पहुंच पाए हैं कि पुल को भगवान राम ने बनवाया है या यह एक प्राकृतिक संरचना है।

क्योंकि रामसेतु के रिसर्च में कुछ सबूत ऐसे पाए गए हैं जो पुल को मानव निर्मित होने का प्रमाण देते हैं परंतु विज्ञान हमेशा मना करता रहा कि आप रामसेतु पूल मानव निर्मित है क्योंकि विज्ञान के अनुसार ऐसे सेतु का निर्माण करना आज से हजारो वर्ष पूर्व संभव नहीं था।

इसका मुख्य कारण यह भी है कि आज की आधुनिक दुनिया भी 5 दिन में ऐसे पूल का निर्माण नही कर सकती है।

यही वजह है कि आज का विज्ञान यह मानने को तैयार नहीं है कि रामसेतु को भगवान श्रीराम ने बनवाया है।

जब राम सेतु ब्रिज का कार्बन डेटिंग किया गया और जो समय निकल कर आया, वह समय ठीक भगवान श्री राम के समय से मिलता जुलता है।

जब रामसेतु के पत्थरों का कार्बन डेटिंग किया गया तो पाया गया कि इस पुल को बनाने में जो पत्थर प्रयोग हुए हैं वे समुद्र तल के रेत से भी पुराने हैं और ऐसे पत्थर उस समुद्र के आसपास नहीं है।

इन पत्थरों को कहीं से लाकर यहां पर प्लांट किया गया है। रामसेतु में प्रयोग तैरने वाला पत्थर लगाया गया है जिसे प्यूमिक स्टोन कहते हैं। प्यूमिक स्टोन ऐसा पत्थर है जो ज्वालामुखी फटने के बाद जो लावा निकलता है उसी से प्यूमिक स्टोन का निर्माण से होता है।

जब रामेश्वरम और मन्नार दीप के पास ज्वालामुखी की खोज शुरू हुई तो आस-पास कोई भी ज्वालामुखी नहीं  मिला। यह इस बात का प्रमाण है कि पत्थरों को कहीं दूर से लाया गया है और इसे रामसेतु को बनाने में प्रयोग किया गया है।


18. क्या प्रमाण या सबूत है कि रामसेतु मानव निर्मित है?

उत्तर - ऐसे कई सबूत मिलते हैं जो रामसेतु को मानव निर्मित होने का इशारा करते हैं।

सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तक रामायण में रामसेतु पुल का जिक्र है और उस पुस्तक में वर्णन किए गए स्थानों को भी खोजा जा चुका है। यह सभी प्रमाण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि रामसेतु को भगवान श्रीराम ने बनवाया है।

जब वैज्ञानिकों द्वारा रामसेतु के पत्थरों का कार्बन डेटिंग किया गया तो पाया गया कि इस पुल को बनाने में जो पत्थर प्रयोग हुए हैं वे समुद्र तल के रेत से भी पुराने हैं और उन्हें कंही से लाकर वँहा पर प्लांट किया गया है। ऐसे पत्थर उस समुद्र के आसपास भी नहीं है।

रामसेतु में प्रयोग तैरने वाला पत्थर लगाया गया है जिसे प्यूमिक स्टोन कहते हैं। प्यूमिक स्टोन ऐसा पत्थर है जो ज्वालामुखी फटने के बाद जो लावा निकलता है उसी से प्यूमिक स्टोन का निर्माण से होता है। जब रामेश्वरम और मन्नार दीप के पास ज्वालामुखी की खोज शुरू हुई तो आस-पास कोई भी ज्वालामुखी नहीं  मिला।

यह इस बात का प्रमाण है कि पत्थरों को कहीं दूर से लाया गया है और इसे रामसेतु को बनाने में प्रयोग किया गया है।


19. क्या प्रमाण या सबूत है कि रामसेतु प्राकृतिक है?

उत्तर - समुद्र विज्ञान के शोध से पता चलता है कि राम सेतु 7,000 साल पुराना है। यह शोध मन्नार द्वीप और धनुषकोडी के पास समुद्र तटों की कार्बन डेटिंग से मेल खाता है। परन्तु जब राम राज्य के समय की गणना की जाती है तो कुछ राम के समय को 9 लाख वर्ष, 5 हजार वर्ष या 7000 वर्ष मानते हैं।

राम राज्य के समय का कोई सटीक निर्णय नही मिलता है। कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि रामायण केवल 600 ईसा पूर्व ही लिखी गई है अगर यह बात सत्य है रामसेतु एक प्रकृतिक संरचना मानी जा सकती है।

दूसरा सबूत यह है कि रामसेतु बनाने में जो तैरने वाले पत्थर लगाए गए हैं वे अन्य देशों में भी पाए जाते हैं जो ज्वालामुखी के लावा बनते हैं। इस प्रकार जहां जहां ज्वालामुखी है वहां वहां तैरने वाले पत्थर आसानी से मिल जाते हैं।

रामसेतु का प्राकृतिक होने का यह है तीसरा सबसे प्रमुख कारण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसा पुल बनाना संभव नहीं है जैसा कि रामसेतु को हजारों वर्ष पहले बनाया जा चुका है।

समुद्र विज्ञान के जानने वाले और बहुत सारे वैज्ञानिक मानते हैं कि यह प्राकृतिक संरचना है परंतु उन्हीं में से कुछ मानते हैं कि रामसेतु पूल मानव निर्मित है।


20. क्या रामसेतु को सच में भगवान राम ने बनाया है?

उत्तर - महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण इस बात का सबूत देता है कि रामसेतु भगवान श्रीराम ने ही बनाया है क्योंकि यह बहुत ही प्राचीन ग्रंथ है। परंतु फिर भी आज के वैज्ञानिक युग में किसी ठोस प्रमाण की जरूरत है जो कि ढूंढना बहुत ही मुश्किल कार्य लगता है परंतु फिर भी ऐसे बहुत से प्रमाण मिल चुके हैं की रामसेतु को भगवान राम ने ही बनाया है।

रामसेतु को आखिर किसने बनाया है यह साबित करना विज्ञान का कार्य है परंतु विज्ञान इसमें भी अभी तक असफल रहा है।

ऐसे बहुत से संगठन बनाये जा रहे हैं जो रामसेतु की जांच करेंगे और यह बताएंगे कि रामसेतु मानव निर्मित या प्राकृतिक है। अगर यह मानव निर्मित होता है तो जाहिर सी बात है इसे भगवान श्री रामचंद्र ने बनाया है।


21. रामसेतु में कौन सा पत्थर लगा है?

उत्तर - रामसेतु को बनाने के लिए चुने और पत्थर के साथ-साथ प्यूमिक स्टोन भी लगाया है। यह प्यूमिक स्टोन पानी में रखने पर तैरता है। परंतु कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह प्यूमिक स्टोन नहीं है। यह एक अलग तरह का ही पत्थर है जो प्यूमिक स्टोन से भारी है।


22. रामसेतु में लगे पत्थर का क्या नाम है?

उत्तर - रामसेतु में लगे हुए पत्थर का नाम प्यूमिक स्टोन (Pumice Stone) है जो पानी में तैरता है।


23. रामसेतु में लगा पत्थर हमेशा तैरता है डूबता क्यों नहीं है?

उत्तर - अब आइए जानते हैं तैरने वालो प्यूमिक पत्थरों के बारे में विज्ञान क्या कहता है जब किसी स्थान पर ज्वालामुखी पड़ता है तो उसमें से मैग्मा और लावा निकलते हैं और जब यह मैग्मा और लावा ठंडे होते हैं तो प्यूमिक स्टोन बनता है। यह प्यूमिक स्टोन धरती के अंदर से पाया जाता है।

जब प्यूमिक स्टोन का शोध किया गया तो पाया गया यह पत्थर अंदर से खोखले हैं और इसमें बहुत सारे छिद्र है, इन छिद्रों में हवा भरी रहती है जिसके कारण प्यूमिक स्टोन बहुत हल्के होते हैं और इनका घनत्व काफी कम होता है।

पत्थरों का वजन कम होने के कारण इन पर पानी की ओर से उत्प्लावक बल (Buoyancy Force) लगता है जो इन्हें डूबने से रोक लेता है।

अतः मैं आशा करता हूं कि आप जान गए होंगे कि प्यूमिक स्टोन पानी में क्यों तैरते हैं।


24. रामायण के अनुसार राम सेतु पत्थर की क्यों तैरता है?

उत्तर - अगर हम धार्मिक दृष्टि से बात करें तो महाऋषि वाल्मीकि की रामायण में यह जानकारी मिलती है कि राम की वानर सेना में नल और नील नामक दो वानर रहते थे जिन्हें ऋषि-मुनियों ने श्राप दिया था कि वे किसी वस्तु को पानी में फेकेंगे वो डूबेगा नही। 

परंतु नल और नील का यह श्राप उनके लिए तब वरदान बन गया जब उन्हें समुद्री पुल बनाने की आवश्यकता पड़ी। अतः ऋषि-मुनियों का श्राप बाद में उन्हें जाकर वरदान के रूप में प्राप्त हुआ।

इसका श्राप रूपी वरदान का प्रयोग उन्होंने रामसेतु के निर्माण के लिए किया। परन्तु आज के युग में ऐसे कई स्थान है जहां पर तैरने वाले पत्थर मिले हैं।


25. विज्ञान के अनुसार रामसेतु का पत्थर क्यों तैरता है?

उत्तर - रामसेतु में प्रयोग हुआ पत्थर प्यूमिक स्टोन कहलाता है। जब प्यूमिक स्टोन का शोध किया गया तो पाया गया यह पत्थर अंदर से खोखले हैं और इसमें बहुत सारे छिद्र है, इन छिद्रों में हवा भरी रहती है जिसके कारण प्यूमिक स्टोन बहुत हल्के होते हैं और इनका घनत्व काफी कम होता है।

पत्थरों का भार कम होने के कारण इन पर पानी की ओर से उत्प्लावक बल लगता है जिसके कारण ये डूबते नही हैं और हमेशा पानी मे तैरते रहते हैं।


26. प्यूमिक स्टोन राम सेतु पुल के पास कैसे आया?

उत्तर - रामेश्वरम के पास कोई भी ज्वालामुखी नहीं है जिससे वँहा प्यूमिक स्टोन प्राप्त किया जा सके।

यह बात आपको जानकर हैरानी होगी कि रामसेतु में प्रयोग किए गए पत्थर प्यूमिक स्टोन से भी कुछ अलग है यह कई रंगों के हैं और प्यूमिक स्टोन से भारी भी है।

अतः यह इस बात का सबूत है कि रामसेतु में लगाए गए पत्थर प्यूमिक स्टोन नहीं है।


27. क्या रामसेतु के पास कोई ज्वालामुखी है?

उत्तर - लाखों सालों में अभी तक ऐसा कोई प्रमाण है सबूत नहीं मिला है तो साबित करता हो कि रामसेतु या रामेश्वरम के पास कोई ज्वालामुखी रहा हो।

अगर वहां पर कोई ज्वालामुखी पाया जाता है तो यह निश्चित हो जाएगा कि उसी ज्वालामुखी के पत्थरों से राम सेतु का निर्माण किया गया हो।

परंतु अभी तक ऐसा कोई भी ज्वालामुखी रामेश्वरम में नहीं पाया गया है और न ही के आस-पास के इलाकों में है।


28. रामसेतु विवाद क्या है?

उत्तर - राम सेतु का विवाद तब जाके पूरी दुनिया के सामने आया जब पहली बार सन् 2005 में सेतुसमुद्रम परियोजना का प्रस्ताव  लाया गया। सेतु समुद्रम परियोजना के अंतर्गत रामसेतु को तोड़कर पानी वाले जहाजों को आने-जाने के रास्तों के निर्माण करना था।

सेतु समुद्रम परियोजना को लाने का मुख्य कारण यह था कि जहाजों को कम दूरी तय करके सामानों को कम लागत में और कम समय में पहुंचाया जा सके।

इस परियोजना लाते ही सरकार विवादों में घिर गई, क्योंकि अगर इस परियोजना को लाया जाता तो हिंदू धर्म को मानने वाले बहुत सारे लोगों की धर्म पर यह बहुत बड़ा घातक प्रहार होता तथा साथ  रामसेतु तोड़ने के बाद केरल में बाढ़ के रूप तबाही का मंजर आने लगेंगे।

रामसेतु को अगर तोड़ा जाता है तो वहां के मछुआरों के लिए बेरोजगारी उत्पन्न हो जाएगी और साथ-साथ प्राकृतिक सुरक्षा करने वाले संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी जिसके कारण सरकार विवादों में आ गई और सन 2007 में न्यायालय सेतु समुद्रम परियोजना को बंद कर दिया।


29. रामसेतु विवाद कब हुआ और इसके क्या कारण थे?

उत्तर - जब सरकार सन् 2005 में सेतुसमुद्रम परियोजना का प्रस्ताव लायी तभी राम सेतु विवादों से घिर गया तथा सरकार भी विवादों से घिर गई।

सेतु समुद्रम परियोजना को लाते ही हिंदू धर्म के मानने वालों ने सरकार पर धर्म खत्म करने का आरोप लगाना आरंभ कर दिया और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करने वाले संगठनों ने भी इस पर आपत्ति जताई।

साथ ही साथ रामसेतु के किनारे बसने वाले मछुआरों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता और केरल राज्य समय-समय पर बाढ़ से ग्रसित हो जाता । इसी को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने सेतु समुद्रम परियोजना को सन 2007 में बंद कर दिया।


30. रामसेतु को तोड़ने की परियोजना किस नाम से जानी जाती है।

उत्तर - सन 2005 में UPA की सरकार ने रामसेतु को तोड़ने के लिए सेतु समुद्रम परियोजना लागू की थी। इससे होने वाली हानियों को देखते हुए तथा विवादों में आए इस परियोजना के कारण सन 2007 में उच्च न्यायालय द्वारा इस परियोजना को बंद कर दिया गया।


31. सेतु समुद्रम परियोजना क्या है?

उत्तर - सेतु समुद्रम परियोजना के अंतर्गत सरकार रामसेतु को तोड़कर पानी वाले जहाजों को आने जाने का मार्ग बनाना चाहती थी इस मार्ग के बनने के कारण जहाजों का समय बचत होता तथा जहाजों के किराये भी कम लगते।


32. सरकार रामसेतु को छोड़ने का प्रस्ताव क्यों लेकर आई?

उत्तर - पानी वाले जहाज का समय और धन बताने के लिए सरकार रामसेतु को तोड़ने के लिए सेतुसमुद्रम परियोजना लेकर आयी।

परंतु इसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा थे।


33. रामसेतु तोड़ने से क्या लाभ होगा?

उत्तर - रामसेतु तोड़ने से लाभ -

● सेतु समुद्र परियोजना के अंतर्गत अगर रामसेतु को तोड़ा जाता है तो पानी वाले जहाजों का समय बचेगा।

● जहाज के ईंधन में खर्च होने वाला धन बचेगा।

● कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा।

● बालू मिलने के साथ साथ और कुछ विशेष कंपनी को फायदा होगा


34. रामसेतु तोड़ने से क्या हानि होगी?

उत्तर - रामसेतु तोड़ने से हानि -

● रामसेतु को तोड़ने के बाद समय-समय पर केरल में सुनामी अपनी तबाही मचाएगी।

● रामसेतु के पास उपस्थित थोरियम का भंडार नष्ट हो जाएगा।

● मछुआरों को मछली पकड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा जिससे 4 लाख बेरोजगारी बढ़ेगी।

● मन्नार की खाड़ी में उपस्थित 36000 प्रजातियों का जन-जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

● अगर रामसेतु तोड़ा जाता है तो हिंदू धर्म की भावनाएं आहत होंगी।

● रामसेतु को तोड़ा जाता है तो पर्यावरण के लिए खतरे पैदा हो जाएंगे।

● रामेश्वरम में उपस्थित मूंगे की चट्टानें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाएंगे।


35. सेतु समुद्रम परियोजना क्यों बंद कर दी गई?

उत्तर - सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना से होने वाले नुकसान को देखते हुए सेतु समुद्रम परियोजना को 2007 में बंद कर दिया परंतु यह मुद्दा फिर से धीरे-धीरे उठ रहा है।


36. रामसेतु को क्यों नहीं तोड़ा जा सका?

उत्तर - रामसेतु को तोड़ने के बाद जो नुकसान होने वाले थे उन को ध्यान में रखते हुए रामसेतु को नहीं तोड़ा गया क्योंकि रामसेतु को तोड़ने के बाद लाभ कम और हानि अधिक होंगे।


37. रामसेतु किस देश मे है?

उत्तर - रामसेतु भारत के रामेश्वरम (पंबन द्वीप) को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जोड़ता है इस प्रकार अगर हम कहें तो रामसेतु भारत में भी है और रहा श्रीलंका में भी स्थित है।


38. क्या रामसेतु में थोरियम का भंडार है?

उत्तर - जी हां, भारत के पास विश्व का सबसे ज्यादा थोरियम का भंडार है, जो रामसेतु में स्थित है। अगर रामसेतु को तोड़ा जाता है तो इस थोरियम के भंडार से भारत को हाथ होना पड़ सकता है। यूरेनियम के विकल्प के रूप में भारत के पास थोरियम है।

थोरियम का प्रयोग परमाणु ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है तथा बिजली बनायी जा सकती है। इसके अलावा भी थोरियम के बहुत सारे उपयोग है।

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