फ्यूज के रूप में प्रयोग प्रमुख फ्यूज पदार्थ के नाम

आपने कभी न कभी अवश्य सुना होगा कि अधिक बिजली आने पर तार फ्यूज हो गया है, इसका मतलब क्या होता है, आखिर में तार में क्या ऐसा होता है कि वह काम नहीं करता है। तो आइए जानते हैं कि आखिर में तार का फ्यूज होना क्या होता है। तार का फ्यूज होना मतलब तार में कहीं पर एक तार ऐसा होता है जिसका गलनांक कम होता है और जब अधिक बिजली अधिक आती है तो वह गल जाता है और पूरे तार में विद्युत धारा का प्रवाह नहीं हो पाता है। इस प्रकार हम कहते हैं कि तार फ्यूज हो गया या जल गया है।

अब सवाल यह आता है कि तार किस धातु के बने होते हैं, आखिर यह कौन सी धातु होती है जो तार में लगाई जाती है। हम आपको बताते चलें कि बहुत सी ऐसी धातुएं हैं जिनका उपयोग फ्यूज तार के रूप में किया जाता है जिनमें सबसे अधिक फ्यूज तार के रूप में तांबा, चांदी, टिन, जिंक, सीसा और एलमुनियम जैसे धातु का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। अगर कहीं भी किसी प्रकार का फ्यूज तार में या किसी उपकरण में प्रयोग हुआ है तो इसका मतलब है कि यही उपरोक्त धातु में फ्यूज के रूप में लगाई गई हैं और जब अधिक बिजली आती है तो यह जल जाते हैं और उपकरण को सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं।

अब हम आइए जानते हैं कि फ्यूज तार में प्रयोग होने वाले धातु के बारे में, आखिर इन धातुओं का प्रयोग क्यों फ्यूज तार के रूप में किया जाता है, इसमें ऐसी क्या गुणवत्ता होती है जो फ्यूज तार के लिए केवल इन्ही धातुओं को चुना जाता हैं।

फ्यूज के रूप में प्रयोग प्रमुख फ्यूज पदार्थ के नाम
सीसा

प्रमुख फ्यूज पदार्थ (Main Fuse Materials in Hindi) -:

1. ताँबा (Copper) -:

ताँबा को फ्यूज तार के रूप में प्रयोग किया जाता है। ताँबा कक गलनांक 1084°C होता है और इसका विशिष्ट प्रतिरोध 1.66 x 10^-8 ओम मीटर होता है। तांबा ऐसी धातु है जिस पर संक्षारण का प्रभाव नहीं होता है। अतः इसका उपयोग 10 एम्पीयर से अधिक विद्युत धारा वाले परिपथों में अधिकांश किया जाता है। शुद्ध ताँबे को फ्यूज के रुप में प्रयोग न करके , ताँबे पर टिन की कोटिंग कर लेते हैं और फिर इनका उपयोग किया जाता है। अतः इस प्रकार टिन की कोटिंग वाले तार को फ्यूज तार के रूप में बहुत ज्यादा प्रयोग करते हैं। जब टिन की कोटिंग कर दी जाती है तो ताँबे पर जंग नहीं लगता है। इसका गलनांक भी अपेक्षाकृत कम होता है।


2. सीसा (Lead) -:

सीसा या लेड एक कम गलनांक वाला फ्यूज पदार्थ होता है। सीसा का गलनांक 327°C होता है। सीसे का विशिष्ट प्रतिरोध 2.17x10^-8 ओम मीटर होता है। सीसा एक प्रकार की मुलायम और मृदु धातु होती है जिसका बहुत ही शीघ्र ऑक्सीकरण हो जाता है। अतः फ्यूज के रुप मे शुद्ध सीसे के स्थान पर सीसे की मिश्र धातु का उपयोग फ्यूज तारों में किया जाता है। फ्यूज तार के रूप में सीसा-टिन मिश्र धातु प्रमुख रूप से प्रयोग में लाई जाती है। इस मिश्रधातु में 37% सीसा तथा 63% टिन होता है। इस मिश्रधातु को यूटेक्टिक (Eutectic Alloy) भी कहते हैं। इस मिश्र धातु से बनाये गए फ्यूज के तार लगभग 50% अधिक विद्युत धारा पर फ्यूज हो जाते हैं। अतः इनका उपयोग केवल 10 एम्पीयर की विद्युत धारा वहन करने वाले विद्युत परिपथों में ही किया जाता है।


3.जिंक (Zinc) -:

यह भी कम गलनांक वाला अच्छी श्रेणी का फ्यूज पदार्थ होती  है। जिंक (Zinc) का गलनांक 419°C है और इसका विशिष्ट प्रतिरोध 6.0 x 10^-8 ओम मीटर होता है। जिंक (Zinc) धातु जंग और आक्सीकरण के प्रभाव से स्वंत्रत होता है। इस धातु का ऑक्सीकरण नही होता है और न ही इस पर जंग लगती है।


4. चाँदी (Silver) -:

चाँदी को एक बहुत ही उत्तम श्रेणी का फ्यूज पदार्थ माना जाता है। क्योंकि इसके अंदर फ्यूज पदार्थ होने के बहुत से गुण उपलब्ध होते हैं। चांदी को जब 960.5°C का तापमान दिया जाता है तो यह पिघलने लगती है। चांदी का विशिष्ट प्रतिरोध 1.55 × 10^-8 ओम मीटर होता है। चांदी पर आक्सीकरण तथा संक्षारण का प्रभाव नही पड़ता है।


5. एल्यूमीनियम (Aluminium) -:

एल्यूमीनियम भी फ्यूज तार के रूप में उपयोग में लाई जाती है। एल्यूमीनियम को जब 658.7°C का तापमान दिया जाता है तो यह पिघलने लगती है। इसका विशिष्ट प्रतिरोध का मान 2.788×10^-8 ओम मीटर होता है। एल्युमीनियम पर जंग नहीं लगती है। ताँबे की अपेक्षा एल्युमीनियम हल्की धातु होती है।


6. टिन (Tin) -:

टिन निम्न गलनांक वाली धातु है। टिन का उपयोग भी फ्यूज तार के रुप में किया जाता है। इसका गलनांक 231.85°C होता है तथा इसका विशिष्ट प्रतिरोध 11 x 10^-8 ओम मीटर होता है। टिन मुलायम धातु होती है जिसके कारण इस धातु को भी मिश्रधातु बनाकर फ्यूज पदार्थ के रुप मे प्रयोग किया जाता है।

Post a Comment

0 Comments