भूमिगत जल (Groundwater) किसे कहते हैं? स्रोत, लाभ, हानि, उपयोग

भूमिगत जल (Groundwater) को भौम जल, भूजल और भूगर्भीय जल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी के गर्भ में होता है, यह बाहरी वातावरण में उपस्थित नहीं होता है। यह जल पृथ्वी के अंदर संचित रहता है।

इसको निकालने के लिए बोरिंग बेल व पंपिंग सेट इत्यादि का उपयोग किया जाता है। सामन्यतः पीने के लिए सबसे अधिक इसी जल का उपयोग किया जाता है। पृथ्वी के गर्भ में एकत्रित होकर रहने के कारण इसे भूमिगत जल, भौम जल और भूगर्भीय जल के नाम से जाना जाता है।
आइये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं कि Bhaum Jal or Bhumigat Jal Kise Kahate Hain तथा इनके स्रोत लाभ-हानि, उपयोग क्या है।



• भूमिगत जल की परिभाषा

• भूमिगत जल के स्रोत

• भूमिगत जल से लाभ

• भूमिगत जल से हानि

• भूमिगत जल के उपयोग

• भूमिगत जल के स्तर में कमी

• भूमिगत जल के स्तर बढ़ाने के उपाय



भूमिगत जल की परिभाषा (Groundwater in Hindi) -:

जब वर्षा का जल गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धीरे-धीरे जमीन में रिसते हुए भूमि के नीचे चला जाता है और नीचे जाकर संचित होने लगता है। अतः भूमि के नीचे संचित या इकट्ठे हुए इस जल को ही भूमिगत जल (Groundwater) कहते हैं।

इसी प्रकार जब जल धीरे-धीरे रिसते हुए भूमि के नीचे जाता है और एक जगह संचित होता रहता है तो जल के धीरे-धीरे रिसते हुए संचित होने की प्रक्रिया को जलभृत कहते हैं। यहां पर भ्रमित होने की जरूरत नहीं है जो जल भूमि के नीचे इकट्ठा रहता है वह भूमिगत जल है और जो जल भूमि के नीचे धीरे धीरे रिसता है, यह जल रिसने की प्रक्रिया जलभृत है।



भूमिगत जल (Groundwater) किसे कहते हैं? स्रोत, लाभ, हानि, उपयोग
Groundwater (भूजल)



प्रकृति में भूमिगत जल के स्रोत (Source of Groundwater in Hindi) -:

भूमिगत जल का सबसे बड़ा स्रोत वर्षा जल को ही माना जाता है क्योंकि जब बारिश होती है तो बारिश का पानी धीरे-धीरे रिसते हुए जमीन के अंदर इकट्ठा होने लगता है और बड़े पैमाने पर भूमिगत जल का निर्माण होता है।

इसके अतिरिक्त कुंआ, तालाब, झील, नदियां, सागर और मैग्मा जल को भी भूमिगत जल का स्रोत माना जाता है। क्योंकि कुंआ, तालाब, झील, नदियां और सागर का पानी भूमि के सतह पर उपस्थित होता है जो धीरे-धीरे जमीन के अंदर रिसता रहता है और रिसते हुए भूमि के नीचे इकट्ठा होता है। इस कारण कुंआ, तालाब, झील, नदियां और सागर भी भूमिगत जल का ही स्रोत है।

मैग्मा जल भी भूमिगत जल बनाने में थोड़ा सहयोग करता है जैसा कि हम जानते हैं मैग्मा भूमि के नीचे द्रव के रूप में उपस्थित होता है। द्रव रूप में उपस्थित होने के कारण यह भी भूमि के नीचे धीरे-धीरे रिसता रहता है जिसकी रिसने वाली जल की मात्रा बहुत कम होती है अतः इसके द्वारा प्राप्त भूमिगत जल बहुत ही अल्प मात्रा में अर्जित होता है परंतु इसे भी भूमिगत जल का स्रोत माना जा सकता है।

अन्य कई प्रकार के तरीकों को आजमा करके भी भूमिगत जल के स्रोत को बढ़ाया जा सकता है। अगर हम भूमिगत जल के स्रोतों को बढ़ाना चाहे तो बारिश के पानी को नदियों और नालियों के पानियों को एकत्रित करना चाहिए और उसे सही ढंग से व्यवस्थित करना चाहिए। साथ ही साथ सरकार को जल संचयन परियोजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी देनी चाहिए।



भूमिगत जल के लाभ (Advantages of Groundwater in Hindi) -:

हमारे पास उपस्थित भूमिगत जल के निम्न फायदे हैं -

1. भूमिगत जल जमीन के नीचे इकट्ठा होते हैं जो काफी साफ सुथरा और स्वछ होते हैं इनका उपयोग सबसे अधिक पानी पीने के लिए किया जाता है।

2. भूमिगत जल भूमि के नीचे फैल कर कुएं के जल को परिपूर्ण करते हैं और खेतों में नमी भी बनाए रखते हैं।

भूमिगत जल को मानव या किसी भी जानवर द्वारा सीधे तौर पर दूषित नहीं किया जा सकता है जिस कारण यह हमेशा स्वच्छ बने रहते हैं और पीने योग्य होते हैं।

3. भूमिगत जल को मीठे पानी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। यह पानी पूर्ण रूप से शुद्ध पानी होता है।

भूमिगत जल के कारण पेड़ पौधों को आसानी से पोषण मिल जाता है।

4. भूमिगत जल मृदा के गुणवत्ता में बढ़ोतरी करता है जिसके कारण कृषि करने में मदद मिलती है।

5. जहां पर भूमिगत जल अधिक होता है वहां पर जल सूखने की प्रक्रिया धीमी होती है अगर कृषि क्षेत्र में भूमिगत जल इकट्ठा या एकत्रित हो तो खेतों के जक बहुत धीरे-धीरे सूखता है जिससे कृषि में लाभ होता है।



भूमिगत जल से हानि (Disadvantages of Groundwater in Hindi) -:

भूमिगत जल के अधिक होने पर और भूमिगत जल के कम होने पर अर्थात इन दोनों स्थितियों में होने पर भूमिगत जल नुकसानदायक हो सकता है। भूमिगत जल से होने वाले कुछ नुकसान निम्न हैं।

1. पेड़-पौधे व वनस्पति के लिए संकट : जब अत्यधिक मात्रा में भूमिगत जल का निष्कर्ष करने से पेड़ पौधों और वन्य जीव पर संकट उत्पन्न हो सकता है जिससे वे सूखने लग सकते हैं।

2. भूमि के सामर्थ्य को नुकसान : अगर कहीं पर अत्यधिक मात्रा में भूमिगत जल एकत्रित हो जाए तो वहां पर भूमि दलदल या धसने की स्थिति पर आ जाती है। जिसके कारण भूमि की संरचना में बदलाव हो सकता है और भूमि की सामर्थ्य प्रभावित हो सकती हैं।

3. जल स्तर में कमी : भूमिगत जल का अधिक निष्कर्षण करने से इसका जलस्तर नीचे जाने का खतरा बना रहता है। जब भूमिगत पानी का जलस्तर नीचे चला जाएगा तो हैंड पंप, कुंआ इत्यादि से पानी प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल होगा।

4. जलवायु परिवर्तन का खतरा : भूमिगत जल के अधिक निष्कर्ष करने से भूमिगत जल को बाहर निकलना पड़ेगा जिसके कारण अधिक मात्रा में सतह पर जल उत्पन्न होने के कारण उसका वाष्पीकरण दर बढ़ेगा जिससे बारिश अधिक होने की संभावना रहेगी और जब बारिश अधिक होगी तो बाढ़ इत्यादि आने का खतरा रहेगा। जब बाढ़ आएगी तो भूमि की सतह पर जलस्तर बढ़ेगा जिसके कारण वातावरण का पैरामीटर बदल जाएगा। जिस कारण वायुमंडलीय परिवर्तन होने के कारण जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं।

5. बाढ़ की आशंका : जब अत्यधिक मात्रा में भूमिगत जल का निष्कर्ष किया जाएगा तो वाष्पीकरण की दर बढ़ेगी जिसके कारण बाढ़ आने की संभावना रहती है।



भूमिगत जल का उपयोग (Application of Groundwater in Hindi) -:

भूमिगत जल का उपयोग निम्न प्रकार से किया जाता है -

1. पानी पीने के योग्य : भूमिगत जल का प्रयोग मानव और जानवरो द्वारा पानी पीने के लिए किया जाता है क्योंकि यह जल पोषक तत्वों और मिनरल्स से भरपूर होता है।

2. विद्युत उत्पादन : भूमिगत जल का प्रयोग विद्युत उत्पादन में भी किया जाता है। भूमिगत जल का प्रयोग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट्स में किया जाता है जिसके माध्यम से बिजली उत्पन्न होती है।

3. द्रव और पानी की आपूर्ति : सुख समय में यह जल बहुत बड़ी पैमाने पर काम आता है साथ ही साथ भूमिगत जल कुओं, तालाबों झीलों को भी परिपूर्ण करने में सहयोग करता है।

4. कृषि में उपयोग : जब वर्षा नहीं होती है तो खेतों की सिंचाई करने के लिए भूमिगत जल को ही प्रयोग में लाया जाता है जिसके लिए हमें बोरवेल और पंपिंग सेट की आवश्यकता होती है या फिर  ट्यूबवेल का सहारा लिया जाता है।

5. सूखा पड़ने पर एकमात्र सहारा : जब आपात स्थिति में चारों ओर सूखा पड़ता है तो हम अपनी सभी कृषि, घरेलू और औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भूमिगत जल का ही उपयोग करते हैं।



भूमिगत जल (Groundwater) स्तर के नीचे जाने के कारण -:

आजकल भूमि काजल स्तर नीचे ही गिरता जा रहा है इसकी भूमिगत जल के स्तर में कमी होने के कुछ कारण निम्न  दिए गए हैं -

1. कम वर्षा होना : भूमिगत जल का सबसे बड़ा स्रोत वर्षा को माना जाता है परंतु अगर वर्षा नहीं होगी तो भूमि पानी का रिसाव नहीं कर पाएगा। जब भूमि में पानी का रिसाव नहीं होगा तो भूमिगत जल एकत्रित नहीं होगी और उसका स्तर नीचे ही गिरता जाएगा।

2. भूमिगत जल का अत्यधिक उपयोग : हमें पानी का उपयोग सदैव आवश्यकता के अनुसार ही करना चाहिए। हम घरेलू कार्य के लिए व पीने के लिए हम जितने भी कार्य करते हैं उसमें अधिकांश जल भूमिगत जल ही होते हैं। अतः भूमिगत जल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से भूमिगत जल का स्तर नीचे चल जाएगा।

3. वनों की अन्धाधुन्ध कटाई : जैसा कि हम जानते हैं पेड़ पौधे अपने जड़ों के माध्यम से पानी लेते हैं। जब पेड़ पौधे नहीं रहेंगे तो जड़ पानी को ऊपर की तरफ अवशोषित नहीं करेंगे जिससे जल का स्तर नीचे चला जाएगा।

साथ ही साथ वनों में उपस्थित पेड़-पौधे वर्षा करने के लिए भी उत्तरदाई होते हैं अगर पेड़ पौधे की कटाई ऐसे ही होती रही तो बारिश नहीं होगी जिससे जलस्तर घटना स्वाभाविक है।

4. अंधाधुंध निकलने वाले बोरिंग : वर्तमान समय में बहुत ही धड़ल्ले से अंधाधुंध बोरिंग निकला जा रहा है। बोरिंग का वैसे तो उपयोग कृषि में अधिक किया जाता है परंतु इसके और अन्य भी कई प्रयोग हैं। जिसके कारण अगर अधिक मात्रा में बोरिंग उपलब्ध हो तो आवश्यकता से अधिक भूमि के जल का निष्कर्षण किया जाता है जिससे जल का स्तर नीचे गिरने लगता है।



भूमिगत जल (Groundwater) के स्तर को बढ़ाने के उपाय -:

आजकल कहीं-कहीं भूमिगत जल का स्तर इतना नीचे गिर जाता है कि पीने के लिए पानी भी हैंड पंप में अच्छी तरह नहीं आ पाता है। अतः लोगों को चाहिए कि वह पानी की जल स्तर को बनाए रखें ताकि उन्हें पानी पीने और अन्य कार्य करने में कोई भी कठिनाई न प्राप्त हो।
हमने नीचे भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने की कुछ उपाय दिए हैं जो निम्न है -

1. वर्षा के जल का संचयन : भूमि के जल के स्तर को बढ़ाने के लिए वर्षा के जल को एकत्रित करना आवश्यक है। बारिश के पानी को बचाने के लिए हमें तालाब, जलाशय, कुंए व अन्य तरीके से वर्षा जल को एकत्रित करना चाहिए।

2. आवश्यकतानुसार पानी का उपयोग : हमें जरूरत के अनुसार ही पानी का उपयोग करना चाहिए। पानी की बर्बादी भी जल का स्तर नीचे गिराने में सहायक है अतः पानी को कम से कम आवश्यकता अनुसार ही खर्च करें। इस प्रकार हम भूमिगत जल का स्तर बढ़ाने में कुछ सहयोग कर सकते हैं।

3. जल संचयन और प्रबंधन : हम जल के स्तर को बढ़ाने के लिए जल संचयन और प्रबंधन की कई तरीको को अपना सकते हैं। साथ ही साथ इसके लिए हमें समाज को और आसपास के लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, जिससे वह भी जल संचयन और प्रबंधन को जान सके और साथ ही साथ आवश्यकता अनुसार ही जल का प्रयोग करें।

4. वन संरक्षण व पेड़ो की कटाई रोकना : भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए और अंधाधुंध होने वाली पेड़ों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए। हमें आवश्यकता अनुसार ही पेड़ पौधे काटने चाहिए या उसकी जगह कोई अन्य साधन आजमाना चाहिए।

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