मृत्यु दर किसे कहते हैं? सूत्र व प्रभावित करने वाले कारक

इस लेख में हम जानेंगे की मृत्यु दर क्या होता है। सामन्यतः मृत्यु दर को Mortality Rate और Death Rate के नाम से जाना जाता है। हम जानेंगे Mrityu Dar Kya Hai और इसके सूत्र व प्रभावित करने वाले कारक का भी अध्ययन करेंगे।


मृत्यु दर जी परिभाषा

• मृत्यु दर का सूूूत्र

• मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले कारक


मृत्यु दर किसे कहते हैं? सूत्र व प्रभावित करने वाले कारक । Mortality Rate in Hindi



मृत्यु दर की परिभाषा (Mortality Rate in Hindi) -:

किसी देश या क्षेत्र में प्रति 1000 व्यक्तियों पर एक वर्ष में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर (Death Rate या Mortality Rate) कहते हैं। मृत्यु दर किसी क्षेत्र की जनांकिकीय संरचना, समाजिक उन्नति और आर्थिक विकास के स्तर द्वारा प्रभावित होती है।
जैसा कि हम जानते हैं मृत्यु दर और जन्म दर जनसंख्या वृद्धि और कमी होने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।

अगर जन्म दर कम होता है और मृत्यु दर अधिक होता है तो जनसंख्या दिन प्रतिदिन घटती जाएगी परंतु ठीक इसके उल्टे अगर जन्म दर अधिक होता है मृत्यु दर कम होता है तो जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जाएगी। इस प्रकार हम कह सकते हैं की जनसंख्या बढ़ने और घटना का मुख्य कारण जन्म दर और मृत्यु दर ही है।

किसी क्षेत्र या देश के कुल जनसंख्या में से जितने लोग मर जाते हैं, उन मरे हुए लोगों का 1000 से गुणा किया जाता है और कुल जनसंख्या से भाग दे दिया जाता है और हमें पता चल जाता है कि उसे क्षेत्र की डेथ रेट/ मृत्यु दर क्या है।



मृत्यु दर का सूत्र (Formula of Death/Mortality Rate in Hindi) -:

किसी भी क्षेत्र व देश में मृत्यु दर का प्रतिशत निकालने के लिए हम फार्मूले का प्रयोग करते हैं और उसे फार्मूले का प्रयोग करके हम ज्ञात कर लेते हैं कि किसी भी देश या क्षेत्र का मृत्यु दर प्रतिशत कितना है। 

मृत्यु दर (Mortality Rate) का सूत्र निम्वत है -

👉 मृत्यु दर (Death Rate) = (मरने वालों की संख्या/उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या) × 1000

मृत्यु दर को ज्ञात करने के लिए मरने वाले लोगों की संख्या का गुणा 1000 में करते हैं और उसे क्षेत्र में रहने वाले कुल जनसंख्या से भाग देते हैं।

उदाहरण - माना किसी 1 वर्ष में किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या 10000 है। उस क्षेत्र में 300 लोग मर जाते है तो 300 का गुणा 1000 में करेंगे -
👉 300 × 1000 = 300000

अब 300000  हमे प्राप्त हुआ। अब 300000 में उसे क्षेत्र की कुल जनसंख्या 10000 से भाग देंगे -
👉 300000 ÷ 10000 = 30

भाग देने पर हमें 30 प्राप्त होता है अतः उस क्षेत्र में 30% की मृत्यु दर है।




मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले कारक -:

मृत्यु दर का निर्धारण करने के लिए निम्न कारण उत्तरदायी होते हैं -

1. निर्धनता : भारत में निर्धनता के कारण भी बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है। वह अपने शरीर के अनुसार पौष्टिक खाना नहीं खा पाते हैं या फिर भूख की वजह से दम तोड़ देते हैं।

2.  चिकित्सा का अभाव : मानव शरीर में कई तरह की बीमारियां होती हैं। कभी कोई निर्धनता के कारण या फिर उसे क्षेत्र में चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध न होने के कारण लोग अपना इलाज नहीं कर पाते हैं जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले कारण में यह सबसे प्रमुख कारण है।

3. शिक्षा की कमी : शिक्षा की कमी भी मृत्यु दर को प्रभावित करती है बहुत से लोग शिक्षा के अभाव में जान नहीं पाते हैं कि उन्हें कौन सा रोग हुआ है वे लोग बीमारी से मर जाते हैं। कभी-कभी कम शिक्षा की वजह से वह लोग गलत कदम उठा लेते हैं जिसके कारण उन्हें जान से अपने हाथ धोना पड़ता है।

4. प्राकृतिक आपदा : प्रत्येक वर्ष कहीं ना कहीं भूकंप, बाढ़ तूफान, चक्रवात, बिजली गिरना जैसे आपदाएं आती रहती हैं जिसके कारण काफी जन-धन और जान-माल की हानि होती है जिसमें भी बहुत सारे लोग मारे जाते हैं।

5. अंधविश्वास व सामाजिक कुरीतियां : अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों भी मृत्यु को थोड़ा प्रभावित करती है। इसके कारण भी बहुत सारे लोग मारे जाते हैं जिन्हें कभी-कभी कोई बीमारी हुई होती है तो वो सोख व ओझा के चक्कर में अपना जीवन में बर्बाद करते हैं। वे सामाजिक कुरीतियों में इस प्रकार लिप्त होते हैं कि बलि देने जैसे कार्य से भी पीछे नहीं हटते हैं।

6. बालविवाह व संतान प्राप्ति की इच्छा : बाल विवाह के कारण कम उम्र के बच्चे संतान प्राप्ति का सोचने लगते हैं और जब यह संतान प्राप्ति की ओर बढ़ते हैं तो कम उम्र की बालिकाएं अपने शरीर को समझ नहीं पाती हैं जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।

7. दुर्घटना : दुर्घटना भी मृत्यु दर को काफी हद तक प्रभावित करती है यह मित्र को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। कभी कोई वाहन चलाते हुए दुर्घटना में मर जाता है तो कभी सड़क गलत और बेकार होने के कारण कोई दुर्घटना में मर जाता है। कभी-कभी पुल गिर जाते हैं जिसमे कुछ हद तक दोष सरकार का होता है।

8. आत्महत्या : आत्महत्या अधिकांश नवयुवक ही करते हैं। प्रेम प्रसंग, घर की मानसिक समस्या, बेरोजगारी के कारण बहुत से लोग अपनी जान देते हैं। 

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