भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) क्या है? लाभ, हानि, उपयोग और स्रोत

इस पोस्ट में हम भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और जानेंगे कि भूतापीय ऊर्जा क्या है और इसके कौन से लाभ, नुकसान और उपयोग हैं। आइये जानते हैं Bhu Tapiya Urja Ki Paribhasha Kya Hai. इस पोस्ट में निम्नवत जानकारियों को साझा किया गया है।


भूतापीय ऊर्जा क्या है

• भूतापीय ऊर्जा का चित्र 

• भूतापीय ऊर्जा की परिभाषा

• भूतापीय ऊर्जा किस प्रकार की ऊर्जा है?

• भूतापीय ऊर्जा का स्रोत

• भूतापीय ऊर्जा से लाभ

• भूतापीय ऊर्जा से नुकसान

• भूतापीय ऊर्जा के उपयोग



भूतापीय ऊर्जा क्या है (Geothermal Energy in Hindi) -:

हमारी पृथ्वी कई प्रकार के परतों से मिलकर बनी हुई है। जब हम पृथ्वी की खुदाई करते हुए केंद्र की तरफ आगे बढ़ते हैं तो तापमान बढ़ता जाता है। पृथ्वी केंद्र की तरफ बढ़ते जाने पर वँहा का तापमान इतना बढ़ जाता है कि वहां पर रहने वाले पत्थर भी पिघलाकर मैग्मा बन जाते हैं। जो पत्थर पिघल कर मैग्मा बन गए होते हैं वे काफी गर्म होते हैं।

जब कभी पृथ्वी की परतें खिसकती हैं तो पृथ्वी में हलचल उत्पन्न हो जाता है तब यह पिघली हुई मैग्मा द्रव अवस्था मे होने के कारण, जिधर भी खाली स्थान पाती है उधर चली जाती हैं। जब मैग्मा, पृथ्वी की सतह की तरफ खाली स्थान पाती है तो वो मैग्मा सतह की ओर चली आती है।

मैग्मा जिस सतह की तरफ आती है वह सतह काफी गर्म हो जाता है और उस सतह पर उपस्थित जलधारा भी काफी गर्म हो जाती है। जब जलधारा गर्म हो जाती है तो वह वाष्पित होने लगती है और धीरे धीरे पृथ्वी सतह के ऊपर भाप बनकर बाहर जाने लगती है। इस गर्म भाप को स्टोर करके इसका उपयोग टरबाइन द्वारा बिजली बनाने के लिए किया जाता है। 
इस प्रकार भूमि से हमें गर्म जल के माध्यम से जो ऊष्मा के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है उसे ही भूतापीय ऊर्जा कहा जाता है।



भूतापीय ऊर्जा का चित्र (Image of Geothermal Energy) -:


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भूतापीय ऊर्जा का स्रोत






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Geothermal Energy Power Plant






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भूतापीय ऊर्जा का चित्र



भूतापीय ऊर्जा की परिभाषा (Definition of Geothermal Energy in Hindi) -:

भूमि में उपस्थित गर्म जल के माध्यम से जो ऊष्मा के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है उसे भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

भूमि में उपस्थित गर्म जल के माध्यम से गर्म भाप निकलती है जो वह उष्मीय ऊर्जा का एक रूप होती है परंतु भूमि में से उष्मीय ऊर्जा निकालने के कारण इसे भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

अगर हम भूतापीय का सन्धि विच्छेद करें तो हमे भू+तापीय प्राप्त होगा। भू से "भूमि" और तापीय से "का ताप" अर्थात भूमि का ताप ऊर्जा।



भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) किस प्रकार की ऊर्जा है?

भूतापीय ऊर्जा एक प्रकार की उष्मीय ऊर्जा है जो ऊष्मा के रूप में पृथ्वी के अंदर उपस्थित होती है व मैग्मा के रूप में उपस्थित होती है। मैग्मा पहले सतह को गर्म करती है उसके बाद सतह, जल को गर्म करती हैं और जब जल गर्म होता है तो वाष्प के रूप में बाहर आ जाता है। उस गर्म वाष्प को टरबाइन द्वारा बिजली के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।



भूतापीय ऊर्जा का स्रोत (Source of Geothermal Energy in Hindi) -:

भू-तापीय ऊर्जा का मुख्य स्रोत ग्रह अंदर उपस्थित मैग्मा, खनिज के रेडियोधर्मी क्षय और सतह पर अवशोषित सौर ऊर्जा है। अतः हम कह सकते है कि ग्रह अंदर उपस्थित मैग्मा, खनिज के रेडियोधर्मी क्षय और सतह पर अवशोषित सौर ऊर्जा के कारण ही  भूतापीय ऊर्जा उत्पन्न होती है

सामन्यतः भूतापीय ऊर्जा का मुख्य स्रोत पृथ्वी के अंदर रहने वाली मैग्मा है जो पृथ्वी की होने वाली हलचल के कारण ऊपर आ जाती है और सतह को गर्म करती है, जिसके कारण सतह पर उपस्थित जल गर्म हो जाता है और भाप बनकर बाहर आने लगाता है।



भूतापीय ऊर्जा से लाभ (Advantages of Geothermal Energy in Hindi) -:

1. लागत : एक बार स्थापित हो जाने के बाद भूतापीय ऊर्जा में लागत बहुत कम आती है। 

2. ईंधन : भूतापीय ऊर्जा भूमि के अंदर से प्राप्त होता है जिसे हम एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण करके उपयोग कर लेते हैं। इस भूतापीय ऊर्जा का उपयोग जिस प्लांट द्वारा किया जाता है उसमें किसी भी ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता है इससे ईंधन की बचत होने के साथ आर्थिक लाभ भी होता है।

3. प्रदूषण : जब भूतापीय ऊर्जा को प्रयोग में लाया जाता है तो इस ऊर्जा का उपयोग करने वाले प्लांट प्रदूषण पैदा नहीं करते हैं जिससे वातावरण पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

4. रोजगार : इसके फायदे को देखते हुए बहुत सारी कंपनियां देश और विदेश में भूतापीय ऊर्जा का उपयोग करने का प्रयास कर रही हैं। भूतापीय ऊर्जा को उपयोग में लाने के लिए कम्पनियों को श्रमिकों की आवश्यकता है जिसके कारण रोजगार उत्पन्न हो रहे हैं।

5. असीमित ऊर्जा का स्रोत : भूतापीय ऊर्जा के द्वारा अनंत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है और इसको उपयोग में लाया जा सकता है क्योंकि यह तब तक बना रहेगा जब तक पृथ्वी नष्ट होने के कगार पर नहीं पहुंच जाती है। इसके द्वारा इतनी ऊर्जा पैदा की जा सकती है, जिसकी कोई सीमा नहीं है जिसके कारण इसको असीमित ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है।

6. विश्वसनीयता व गणना : सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमें सूर्य पर निर्भर रहना पड़ता है जो कभी निकलता है और कभी नहीं निकलता, इसी तरह पवन ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमें हवा पर निर्भर रहना पड़ता है जो कभी तेज बहता है तो कभी धीरे बहता है। जिसके कारण इनके ऊर्जा का मान गणना करने में परेशानी होती है जबकि भूतापीय ऊर्जा में एक निश्चित अनुपात में उर्जा उत्पन्न होती रही है जिसकी गणना करना काफी आसान होता है और यह विश्वास होता है कि यह घटे या बढ़ेगा नही।

7. आर्थिक लाभ : भूतापीय ऊर्जा को एक बार स्थापित कर देने के बाद, इसमें बहुत कम  पैसा खर्च करना पड़ता है। इसमें किसी भी ईंधन का प्रयोग नहीं होता जिसके कारण काफी बचत होती है और आर्थिक लाभ होता है।

8. टिकाऊ और स्थायी/स्थिर ऊर्जा : जैसे सौर ऊर्जा कभी खत्म ना होने वाली ऊर्जा है ठीक वैसे ही भूतापीय ऊर्जा भी कभी न खत्म होने वाली ऊर्जा है जब तक यह ग्रह रहेगा तब तक हमें ऊर्जा मिलता रहेगा। इस प्रकार सौर ऊर्जा टिकाऊ होने के साथ-साथ स्थाई भी है।



भूतापीय ऊर्जा से हानि / नुकसान (Disadvantages of Geothermal Energy in Hindi) -:

भूतापीय ऊर्जा से फायदे होने का असर में कई प्रकार के नुकसान भी होते हैं जी निम्नवत हैं -

1. उच्च स्थापना लागत : भूतापीय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए हमें भूतापीय ऊर्जा को भूमि के अंदर से निकालना पड़ता है अतः इस ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। साथ साथ कुशल कर्मचारियों को भर्ती करना पड़ता है और प्लांट की स्थापना के लिए काफी खोजबीन और रिसर्च करनी पड़ती है जिसमें खर्च बढ़ता है।

2. हानिकारक गैसों की संभावना : जैसा कि हम जानते हैं भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के अंदर होती है और उसको निकालने के लिए खुदाई करना पड़ता है खुदाई करते समय कभी-कभी जहरीली गैसों का भी सामना करना पड़ सकता है जिससे जान-माल व पर्यावरण को हानि हो सकती है।

3. कुशल श्रमशक्ति : भूतापीय ऊर्जा प्लांट की स्थापना करने के लिए कुशल परिशिक्षित श्रमिक के साथ उपयुक्त निर्माण लागत की आवश्यकता होती है। जो हमें अभी भी अनुपलब्ध रहते हैं, इसलिए इस ऊर्जा का प्रयोग व्यापक रूप से नहीं किया जा सकता है।

4. भूकम्प : भूतापीय ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए हमें जमीन के अंदर कुछ खुदाई करनी पड़ती है। अतः यह पृथ्वी के साथ संबंधित है जिसके कारण जहां पर भूतापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित होते हैं वह क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए जब भी हमें अंदर खुदाई करनी होती है तो पहले इसका पूरी तरह से जांच, पड़ताल और रिसर्च करके ही खुदाई की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाती है।

5. ऊर्जा उत्सर्जन की धीमी गति : भूतापीय ऊर्जा का उपयोग प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के तौर पर नहीं किया जा सकता है।भूतापीय ऊर्जा को हर जगह स्थापित नहीं किया जा सकता है। यह प्लांट वहीं स्थापित किया जा सकता हैं जहां पर मैग्मा के माध्यम से गर्म भाप निकलती हो। साथ ही साथ भूतापीय ऊर्जा के उत्सर्जन की गति बहुत ही धीमी होती है।

6. निश्चित मात्रा : हमें भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी से निश्चित मात्रा मिलती रहती है इसे बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता है जब कभी हमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है तो इससे अधिक ऊर्जा नहीं ले सकते हैं।

7. ध्वनि प्रदूषण : भूतापीय ऊर्जा को भूमि के अंदर से निकलने के लिए कई तरह की बोरिंग व ड्रिलिंग मशीनों से खुदाई करना पड़ता है जिसके कारण बहुत ज्यादा शोर होता है तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।



भूतापीय ऊर्जा के उपयोग (Application of Geothermal Energy in Hindi) -:

भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) के निम्नलिखित उपयोग हैं।

1. भूतापीय उर्जा का सबसे अधिक उपयोग बिजली का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।

2. भूतापीय ऊर्जा का उपयोग इमारतों को गर्म करने के लिए किया जाता है।

3. सड़क के फुटपाथ और रेल पटरियों के नीचे बर्फ गलाने के लिए भी भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।

4. पहले समय के लोग भूतापीय ऊर्जा का उपयोग स्नान करने और वस्तु, स्थान को हीटिंग करने के लिए करते थे।

5. खाली स्थान की गर्म करने के लिए भी भूतापीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।

6. भारी जल उत्पादन के लिए भी भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।

7. भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग लकड़ी संशोषण (Timber Seasoning) के लिए किया जाता है।

8. भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग ताप पंप में किया जाता है।

9. खाना पकाने और नमक को हटाने के लिए भी भूतापीय ऊर्जा प्रयोग में लाई जाती है।

10. भू-तापीय ऊर्जा से कृषि के क्षेत्र में जलीय कृषि तालाबों को  गर्म किया जाता है।

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