चित्रकला की दृष्टि से आलेखन चार प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं -
1. प्राकृतिक आलेखन
2. ज्यामितीय आलेखन
3. आलंकारिक आलेखन
4. सूक्ष्म आलेखन
1. प्राकृतिक आलेखन -:
फूलों, पत्तियों और कलियों या अन्य प्राकृतिक वस्तुओं के संयोजन से बने हुए आलेखन को प्राकृतिक आलेखन कहते हैं। ये ऐसे आलेखन होते हैं जिनमे प्राकृतिक वस्तुओं के वास्तविक रूप में किसी भी प्रकार का कोई भी संशोधन या परिवर्तन नहीं किया जाता है। इसमें ऐसा कुछ अपनी पास से नहीं डाला जाता है जो काल्पनिक हो जैसे माना अगर कमल का फूल है और उसके पत्ते पानी पर हैं तो आप कमल के पत्ते को फूल के ऊपर ले जाकर नहीं बना सकते हैं क्योंकि कमल का पत्ता सदैव पानी पर तैरता रहता है अगर कमल के पत्ते को फुल के ऊपर ले जाकर आपबनाएंगे तो प्राकृतिक आलेखन के अंतर्गत नहीं आएगा।
2. आलंकारिक आलेखन -:
ऐसे आलेखन जो, वास्तविकता को ध्यान में न रखते हुए , वस्तु को अधिक से अधिक सुन्दर बनाने के लिए बनाये जाते हैं, इस प्रकार के आलेखन को आलंकारिक आलेखन कहते हैं। जब इस प्रकार के आलेखन की रचना की जाती है तो प्राकृतिक वस्तुओं के आकार रंग इत्यादि पर ध्यान नहीं दिया जाता है इसमें केवल सुंदरता बढ़ाने के लिए नए नए कदम उठाने का कार्य किया जाता है। जब इस प्रकार की कला निर्मित की जाती है तो उसको सुंदर दिखाई देने के लिए किसी भी तरह का प्रयोग किया जा सकता है चाहे वह भी पूरी तरह विपरीत रंग ही क्यों न भरा जाए।
3. ज्यामितीय आलेखन -:
ऐसा आलेखन जो ज्यामितीय आकृतियों के संयोजन से बनते है उसे ज्यामितीय आलेखन कहते हैं। इस प्रकार के आलेखन को ज्यामितीय आकृतियों का प्रयोग करके बनाया जाता है। जब इस आलेखन कला को बनाया जाता है तो ज्यामितीय यंत्रों का सहारा लिया जाता है। ज्यामितीय यंत्रों का सहारा लेकर ज्यामितीय आलेखन का निर्माण किया जाता है।
4. सूक्ष्म आलेखन -:
प्राकृतिक आलेखन, ज्यामितीय आलेखन और आलंकारिक आलेखन के सम्मिश्रण से बने हुए आलेखन को सूक्ष्म आलेखन कहते हैं। सूक्ष्म आलेखन बनाने के लिए ऊपर दिए गए तीनों आलेखन का सहारा लिया जाता है और जब जिस भी आलेखन की आवश्यकता, चित्रकला में पड़ती है, उसका प्रयोग करके सूक्ष्म आलेखन का निर्माण किया जाता है। सूक्ष्म आलेखन वही है जिसमें प्राकृतिक आलेखन, ज्यामितीय आलेखन और अलंकारिक आलेखन के मिश्रण हों।