चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Compass) किसे कहते हैं? उपयोग

चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Compass in Hindi) -:

चुंबकीय कम्पास एलमुनियम की एक गोल डिब्बी होती है जिस पर चारों दिशाएं और अक्षांश से बने होते हैं। चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Compass) को दिकसूचक यंत्र के नाम से जाना जाता है। इस दिकसूचक यंत्र पर चारों दिशाएं दर्शायी गई होती हैं। दिकसूचक का अर्थ होता है दिशा को मापने वाला।

चुंबकीय सुई में आठ दिशाएं बनी होती है जिनमें पूर्व (E), पश्चिम (W), उत्तर (N), दक्षिण (S), उत्तर-पूर्व (N-E), दक्षिण-पूर्व (S-E), दक्षिण-पश्चिम (S-W) तथा उत्तर-पश्चिम (N-W) होते हैं। चूंकि कंपास में पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण को बड़े बड़े अक्षरों में लिखा जाता है जबकि उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, और उत्तर-पश्चिम को थोड़ा सा छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा जाता है क्योंकि ये उपबिन्दु होते हैं। जिसमें उत्तर (N) और दक्षिण (S) को विशेष चिह्नों के साथ दर्शाया जाता है। चुंबकीय कंपास में यह उत्तर (N) लाल रंग से प्रदर्शित किया जाता है।


चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Compass) किसे कहते हैं? दिकसूचक यंत्र
चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Compass)


इस पूरे कंपास को 360° में बांट दिया जाता है। जिसमें जीरो से लेकर 360° के चिन्ह बने होते हैं।

चुंबकीय कंपास में एक सुई होती है जो दिशा दिखाने का कार्य करती है। यह सुई सदैव उत्तर और दक्षिण में ठहरती है। कंपास की सुई उत्तर दिशा में ठहरने के कारण, सुई के उत्तर दिशा वाले भाग को लाल रंग से प्रदर्शित किया जाता है ताकि आसानी से पता लगाया जा सके कि सुई की उत्तर दिशा कौन सी है। जबकि इसके विपरीत वाले दिशा काले रंग से रंगी गई होती है जो दक्षिण की दिशा होती है। इस प्रकार कम्पास को आसानी से देखकर पता लगाया जा सकता है कौन सी दिशा कौन है।

 

चुम्बकीय कम्पास के उपयोग -

चुंबकीय कंपास का प्रयोग दिशा को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। सामान्यतः मैग्नेटिक या दिकसूचक यंत्र का प्रयोग सैनिकों, पर्यटक व नाविकों तथा समुद्री चालकों द्वारा दिशा को ढूंढने या ज्ञात करने के लिए किया जाता है। ऐसा कोई भी अस्थान जगदीशा को ज्ञात करना होता है तो चुंबकीय कम्पास का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है।


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