पाश्चुरीकरण क्रिया क्या है? उपयोग व दुध पाश्चुरीकरण करने की विधि

पाश्चुरीकरण की परिभाषा (Definition of Pasteurization in Hindi) -:

पाश्चुरीकरण एक ऐसी तकनीक है जिसमें भोज्य पदार्थों को निश्चित तापमान तक गर्म किया जाता है और उसे जल्दी से ठंडा कर दिया जाता है जिसके फलस्वरूप उसमें उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

जब भोज्य पदार्थ में अचानक तापमान परिवर्तन होता है तो सूक्ष्म जीव उसे सहन नहीं कर पाते हैं और वे नष्ट हो जाते हैं।


पाश्चुरीकरण के प्रयोग/उपयोग (Use of Pasteurization in Hindi) -:

पाश्चुरीकरण प्रक्रिया का प्रयोग भोजन या भोज्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है अगर पाश्चुरीकरण तकनीक का प्रयोग करके किसी भोजन को रखा जाता है तो वह भोजन लंबे समय तक खराब नहीं होता है जिसका प्रयोग लंबे समय के बाद भी किया जा सकता है।


पाश्चुरीकरण की खोज -:

पाश्चुरीकरण विधि की खोज सन 1862 में लुइस पाश्चर ने की। लुइस पाश्चर के नाम पर ही इस विधि का नाम पाश्चुरीकरण पड़ा। इस विधि का सबसे पहले परीक्षण वाइन और बीयर जैसे पदार्थों पर किया गया क्योंकि यह पदार्थ जल्दी से खराब हो जाते थे जिसके लिए इस विधि का प्रयोग करके उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए पाश्चुरीकरण विधि अपनाई गई।


पाश्चुरीकरण क्रिया (Pasteurization Process) क्या है? उपयोग व दुध पाश्चुरीकरण करने की विधि
दूध का पाश्चुरीकरण

इस प्रकार समय बितता गया और इसका प्रयोग दूध को पाश्चुरीकरण करने के लिए किया जाने लगा। दूध को पाश्चरीकृत करने का ख्याल सबसे पहले वर्ष 1886 में जर्मनी के कृषि व रसायनशास्त्री फ्रांज वाँन सॉक्सलेट के मन में आया, और बाद में उन्होंने दूध को ना खराब होने की तकनीकी पाश्चुरीकरण विधि खोज निकाली।


दुध पाश्चुरीकरण करने की विधि -:

दूध पाश्चुरीकरण एक ऐसी तकनीक है जो दूध को खराब होने से बचाती है। इस तकनीकी का प्रयोग करते समय दूध को सबसे पहले उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है और फिर उसे तुरंत ठंडा कर देते हैं। तापमान में हुए इस अचानक परिवर्तन के कारण दूध में उपस्थित सभी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और दूध पाश्चुरीकृत हो जाता है। पाश्चुरीकृत दूध को बंद डिब्बों में रखकर, फ्रीज में डाल देते हैं। उच्च तापमान व कम समय में पास पाश्चुरीकृत किए गए दूध को रेफ्रिजरेटर में 2 से 3 हफ्ते तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे दूध खराब नहीं होते हैं। वहीं कुछ दूध अल्ट्रा-पाश्चुरीकरण विधि का प्रयोग करके पाश्चुरीकृत किए जाते हैं। अल्ट्रा-पाश्चुरीकरण विधि द्वारा जो दूध पाश्चुरीकरण किए जाते हैं उन्हें दो से तीन महीनों तक आसानी से सुरक्षित रख सकते हैं।


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