वाष्पीकरण किसे कहते है? उदाहरण

वाष्पीकरण की परिभाषा (Vaporization in Hindi) -:

वाष्पीकरण ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जल, ताप पाकर वाष्प में बदलने लगता है या भाप के रूप में बदल जाता है। जब किसी भी द्रव को वाष्पशील करना होता है तो उसे ताप दिया जाता है, (वह ताप प्राकृतिक या कृत्रिम कोई भी हो सकता है) तो ताप पाकर द्रव धीरे-धीरे वाष्प के रूप में बदलने लगता है और ऊपर उड़ने लगता है।

वाष्पीकरण का चित्र

वाष्पन का प्रयोग द्रव में विलेय या घुलनशील को अवयव को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। जो घुलनशील अवयव होते हैं अगर उनको ठोस के रूप में प्राप्त करना होता है तो वाष्पीकरण विधि का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।

उदाहरण - जल में विलेय साधारण नमक को इसी प्रकार अलग किया जाता है। सबसे पहले मिश्रण को एक बड़े समतल पात्र में भर दिया जाता है और पात्र को धूप में रख दिया जाता है, जिससे धूप के ताप के कारण जल धीरे-धीरे वाष्पित होने लगता है।

इस प्रकार पूरा जल वाष्प बनके उड़ जाता है और केवल साधारण नमक पात्र में बचा रहता है। अगर किसी द्रव की वाष्पन दर बढ़ानी होती है तो उसे गर्म करके वाष्पन की दर अर्थात वाष्पीकरण की दर को बढ़ाया जा सकता है।


वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक/कारण -:

1. द्रव सतह के क्षेत्र पर - सतह का क्षेत्र जितना ही बड़ा होगा वाष्पीकरण की दर उतनी ही अधिक होगी।

2. तापमान में वृद्धि - तापमान में जितनी अधिक वृद्धि होती है वाष्पीकरण उतना ही अधिक होता है।

3. नमी में कमी - जब हवा में नमी की कमी होती है वाष्पीकरण अधिक होता है परंतु जवाब में नमी अधिक होती है

4. वायु की गति - जब हवा तेज गति से चलती है तो वाष्पीकरण तेज गति से होता है। उदाहरण के लिए कपड़े का तेज हवा में सुखना।

5. द्रव की स्थिति - कम क्वथनांक वाले द्रव का वाष्पीकरण तेज होता है जबकि कम क्वथनांक वाले द्रव का वाष्पीकरण कम होता है


वाष्पीकरण द्वारा समुंद्री जल/खारे झील से नमक प्राप्त करना -:

समुद्री जल या झील के खारे पानी से साधारण नमक को वाष्पन के द्वारा ही प्राप्त किया जाता है। समुद्री जल अथवा झील के खारे जल से नमक को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले कम गहरे गड्ढे का निर्माण किया जाता है और उसे खारे पानी से भरा जाता है।

इस गड्ढे भरे पानी को अब ताप की आवश्यकता होती है जो उसे सूर्य के प्रकाश से मिल जाता है। सूर्य के प्रकाश को पाकर उसमें उपस्थित ताप गड्ढे में भरे पानी को वाष्पित करने लगता है और अंत में पूरे जल को वाष्पित कर देता है। इस प्रकार गड्ढे में केवल नमक ही बचता है। अब इस नमक को शुद्ध करके खाने योग्य बना लिया जाता है।


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