Machine Control Unit in Hindi -:
मशीन कंट्रोल यूनिट सीएनसी मशीन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रोग्राम और मशीन टूल के मध्य एक कड़ी का कार्य करता है। इसको इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिलकर बनाया जाता है। MCU अर्थात मशीन कंट्रोल यूनिट पंच टेप में डाले गए प्रोग्राम को पढ़ता है और उसे पढ़कर टूल को निर्देश देता है। हम कह सकते हैं कि मशीन कंट्रोल यूनिट प्रोग्राम को यांत्रिक क्रिया में बदलकर मशीन को क्रियान्वित करता है। मशीन कंट्रोल यूनिट के द्वारा ही मशीन टूल को निर्देश दिया जाता है और कार्य कराया जाता है।
मशीन कंट्रोल यूनिट को निम्न अवयव से मिलकर बनाया जाता है -
1) डाटा बफर
2) फीडबैक कंट्रोल
3) कंट्रोल पैनल
4) रीडर यूनिट
5) आउटपुट चैनल एवं एक्चुएटर
6) प्रोसेसर
1) डाटा बफर (Data Buffer) -:
मशीन कंट्रोल यूनिट में स्थित RAM में कार्यखंड का प्रोग्राम सुरक्षित कर दिया जाता है। राम को अस्थाई मेमोरी के नाम से भी जाना जाता है। इस अस्थाई मेमोरी को ही बफर कहते हैं। इसका मुख्य कार्य होता है कि यह अगले प्रोसेस में होने वाली डाटा को स्टोर करता है।
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2) फीडबैक कंट्रोल (Feed Back Control) -:
मशीन कंट्रोल यूनिट में स्थित इस यूनिट के द्वारा या इकाई के द्वारा मशीन के द्वारा किए गए वास्तविक कार्य का पता चल जाता है। इस यूनिट की सहायता से मशीन की स्लाइड स्थिति, स्पिंडल की चाल इत्यादि का ज्ञान पता करते हैं।
3) कंट्रोल पैनल (Control Pannel) -:
कंट्रोल पैनल सीएनसी मशीन का वह भाग होता है जिसके द्वारा हम मशीन की क्रियाओं में मैनुअली हस्तक्षेप कर सकते हैं। कंट्रोल पैनल में संकेतों को समझने के लिए इंडिकेटर और मीटर का उपयोग किया जाता है। कंट्रोल पैनल के द्वारा मशीनिंग प्रक्रिया को रोकना, टूल की स्पीड को बढ़ाना, टूल की स्पीड को कम करना, टेप में डाटा को फिट करना या डाटा को मिटाना इत्यादि जैसे अनेक कार्य किए जाते हैं।
4) रीडर यूनिट (Reader Unit) -:
रीडर यूनिट टेप में डाले गए प्रोग्राम को पढ़ने का कार्य करता है। रीडर यूनिट यांत्रिक और विद्युत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिलकर बना होता है। रीडर यूनिट के द्वारा पंच टेप, मैग्नेटिक टेप या फ्लॉपी डिस्क पर जो प्रोग्राम बने होते हैं उनको पढ़कर निर्देश देने के लिए प्रयोग किया जाता है। रीडर यूनिट को टेप रीडर कहते हैं।
सामान्यतः टेप रीडर यूनिट कई प्रकार के होते हैं -
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(१) कार्ड रीडर -
इस रीडर में पढ़ने के लिए ब्रशो, फोटोइलेक्ट्रिक सेल इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।
(२) पंच टेप रीडर -
इसका उपयोग पंच टेप को पढ़ने के लिए किया जाता है। पंच टेप में जो छिद्र बने होते हैं उन्हीं को रीडिंग हेड के नीचे से गुजारा जाता है। यह रीडर तीन प्रकार के होते हैं -
A) यांत्रिक टेप रीडर
B) वायुवीय टेप रीडर
C) ऑप्टिकल टेप रीडर
(३) मैग्नेटिक टेप रीडर -
मैग्नेटिक टेप रीडर को मैग्नेटिक टेप रिकॉर्डिंग हेड की सहायता से पढ़ा जाता है। सामान्यतः इसी टेप रीडर का प्रयोग किया जाता है।
5) आउटपुट चैनल एवं एक्चुएटर (Output Channel & Actuator) -:
ऐसी पिन या तार, जो प्रोसेसर से बाहर निकली रहती है उसको आउटपुट चैनल कहते हैं। प्रोसेसर से जो कार्य संकेत के रूप में प्राप्त होते हैं वह आउटपुट चैनल पर प्लस के रूप में प्राप्त होते हैं। आउटपुट चैनल पर प्राप्त होने वाला प्लस में कम वोल्टेज तथा कम करंट का होता है। जो किसी सर्वो मोटर, स्टैपर मोटर या वायुवीय एवं हाइड्रोलिक मोटर को चलाने में सक्षम नहीं होते हैं। जिसके कारण इन प्लसो को इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एम्पलीफायर के द्वारा बढ़ाया जाता है इसे बढ़ाने का कार्य एक्चुएटर के द्वारा किया जाता है।
6) प्रोसेसर (Processor) -:
इसे मशीन कंट्रोल यूनिट का मुख्य अंग कहा जाता है यह इंटीग्रेटेड सर्किट के बेस पर कार्य करता है। प्रोसेसर के प्रमुख कार्य नीचे दिए गए हैं -
१. प्रोसेसर का कार्य है कि वह सभी अंगों के मध्य सामंजस्य स्थापित करे।
२. प्रोसेसर के द्वारा पार्ट के ऑपरेशन को नियंत्रित किया जाता है।
३. किसी कार्यखंड पर या किसी अंग के कार्य करने के लिए प्रोसेसर संकेतों को प्रसारित करता है।
४. बफर डाटा में उपस्थित प्रोग्रामिंग को कार्यकारी संकेतों में परिवर्तित करने का कार्य प्रोसेसर का होता है।
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